धान भारत की सबसे महत्वपूर्ण फसलों में से एक है। यह देश की लगभग आधी आबादी के लिए भोजन का एक प्रमुख स्रोत है। धान की खेती में कई प्रकार के कीट लगते हैं, जिनमें से तना छेदक और पत्ता लपेट सुंडी सबसे प्रमुख हैं। इन कीटों का प्रकोप फसल को भारी नुकसान पहुंचा सकता है और किसानों की आय को प्रभावित कर सकता है।
धान में तना छेदक
तना छेदक एक कीट है जो धान के पौधों की तना को नुकसान पहुंचाता है। यह कीट धान के पौधों की जड़ों के पास पत्तों की निचली सतह पर अंडे देती है। अंडे से निकलने वाले लार्वा पौधे की तना में छेद बनाते हैं और अंदर से उसे खाते हैं। इससे तना कमजोर हो जाता है और पौधा सूख जाता है।
पत्ता लपेट सुंडी
पत्ता लपेट सुंडी एक कीट है जो धान के पौधों के पत्तों को नुकसान पहुंचाता है। यह कीट धान के पत्तों को लपेटकर उनमें छेद बनाता है और अंदर से उन्हें खाता है। इससे पत्ते पीले पड़ जाते हैं और झड़ जाते हैं। धान में शीथ ब्लाइट रोग: लक्षण, उपचार और रोकथाम
इन कीटों से बचाव के उपाय
इन कीटों से बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
प्रतिरोधी किस्मों का चुनाव: धान की कुछ किस्में इन कीटों के प्रतिरोधी होती हैं। इन किस्मों का चुनाव करके इन कीटों से बचाव किया जा सकता है।
सही समय पर रोपाई: धान की रोपाई सही समय पर करनी चाहिए। यदि रोपाई देर से की जाती है, तो इन कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है।
फसल चक्र अपनाना: धान की खेती के बाद अन्य फसलों की खेती करनी चाहिए। इससे इन कीटों के लार्वा के लिए भोजन का स्रोत कम हो जाता है।
कीटनाशक का छिड़काव: यदि इन कीटों का प्रकोप अधिक हो जाए, तो कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए।
धान में तना छेदक पत्ता लपेट सुंडी मिनटों में खत्म
प्रभावी जैविक कीटनाशक
नीम का तेल, अदरक का रस और लहसुन का रस धान में तना छेदक और पत्ता लपेट सुंडी को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी जैविक कीटनाशक हैं। इन कीटनाशकों का उपयोग करने से फसल को तना छेदक और पत्ता लपेट सुंडी से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है।
नीम का तेल
नीम का तेल एक प्रभावी जैविक कीटनाशक है। यह कीटों के विकास को रोकता है और उन्हें मारता है। नीम का तेल तना छेदक और पत्ता लपेट सुंडी के लार्वा को मारता है।
नीम का तेल का छिड़काव करने के लिए, 1 लीटर पानी में 20 मिलीलीटर नीम का तेल मिलाकर छिड़काव करें। छिड़काव सुबह या शाम को करना चाहिए।
अदरक का रस
अदरक का रस एक प्राकृतिक कीटनाशक है। यह कीटों को दूर भगाता है। अदरक का रस तना छेदक और पत्ता लपेट सुंडी को भगाने में मदद करता है।
अदरक का रस का छिड़काव करने के लिए, 1 लीटर पानी में 100 मिलीलीटर अदरक का रस मिलाकर छिड़काव करें। छिड़काव सुबह या शाम को करना चाहिए।
लहसुन का रस
लहसुन का रस भी एक प्राकृतिक कीटनाशक है। यह कीटों को मारता है। लहसुन का रस तना छेदक और पत्ता लपेट सुंडी के लार्वा को मारता है।
लहसुन का रस का छिड़काव करने के लिए, 1 लीटर पानी में 100 मिलीलीटर लहसुन का रस मिलाकर छिड़काव करें। छिड़काव सुबह या शाम को करना चाहिए।
इन जैविक कीटनाशकों का उपयोग करने से धान की फसल को तना छेदक और पत्ता लपेट सुंडी से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है। ये कीटनाशक पर्यावरण के लिए सुरक्षित हैं और मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं हैं।
उपयोग की विधि
इन जैविक कीटनाशकों का उपयोग करने के लिए निम्नलिखित विधि अपनाई जा सकती है:
- नीम का तेल: 1 लीटर पानी में 20 मिलीलीटर नीम का तेल मिलाकर छिड़काव करें।
- अदरक का रस: 1 लीटर पानी में 100 मिलीलीटर अदरक का रस मिलाकर छिड़काव करें।
- लहसुन का रस: 1 लीटर पानी में 100 मिलीलीटर लहसुन का रस मिलाकर छिड़काव करें।
छिड़काव की विधि
- छिड़काव सुबह या शाम को करना चाहिए।
- छिड़काव करने से पहले फसल को अच्छी तरह से पानी देना चाहिए।
- छिड़काव करने के लिए एक छिड़काव यंत्र का उपयोग करें।
- छिड़काव को सभी पत्तियों और तने पर अच्छी तरह से करें।
छिड़काव की आवृत्ति
- यदि कीट का प्रकोप अधिक हो तो हर 7-10 दिनों में छिड़काव करें।
- यदि कीट का प्रकोप कम हो तो हर 15-20 दिनों में छिड़काव करें।
सावधानियां
- छिड़काव करते समय सुरक्षात्मक उपकरण पहनें।
- छिड़काव के बाद हाथों को साबुन से धो लें।
निष्कर्ष
तना छेदक और पत्ता लपेट सुंडी धान की फसल के लिए सबसे प्रमुख कीट हैं। इन कीटों से बचाव के लिए इन जैविक कीटनाशकों का उपयोग एक प्रभावी तरीका है। ये कीटनाशक पर्यावरण के लिए सुरक्षित हैं और मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं हैं।
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